Navratri 2025 के छठवें दिन यानी शुक्ला षष्ठी (Day 6) पर भक्त मां कात्यायनी की पूजा करते हैं। इस साल यह दिन 27 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। नौ दिवसीय नवरात्रि महोत्सव 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान भक्त मां दुर्गा और उनकी नौ शक्तिशाली अवतारों (नवदुर्गा) की आराधना करते हैं।
मां कात्यायनी कौन हैं?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, राक्षस महिषासुर का संहार करने के लिए देवी पार्वती ने कात्यायनी रूप धारण किया। यह मां पार्वती का सबसे शक्तिशाली और वीर रूप माना जाता है।
मां कात्यायनी के बारे में
- छठे दिन की पूजा में उनकी विशेष आराधना की जाती है।
- यह रूप साहस और नकारात्मक शक्तियों पर विजय का प्रतीक है।
- मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को संपर्क, सौहार्द और विवाह के अवसर मिलते हैं।
- माना जाता है कि यह रूप ग्रह बृहस्पति से जुड़ा है।
- वे शेर की सवारी करती हैं और चार हाथों में दो हाथों में कमल और तलवार पकड़े रहती हैं, जबकि एक हाथ अभय मुद्रा और एक हाथ वरद मुद्रा में रहता है।
- उनका जन्म ऋषि कत्यायन के घर हुआ था, इसी कारण उन्हें कात्यायनी कहा जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शुक्ला षष्ठी आरंभ: 12:03 PM, 27 सितंबर
शुक्ला षष्ठी समापन: 2:27 PM, 28 सितंबर
अनुराधा नक्षत्र: 1:08 AM तक, 28 सितंबर
ब्रह्म मुहूर्त: 4:36 AM – 5:24 AM
अभिजीत मुहूर्त: 11:48 AM – 12:36 PM
विजया मुहूर्त: 2:12 PM – 3:00 PM
अमृत काल: 1:26 PM – 3:14 PM
दिन का शुभ रंग
इस दिन का रंग है ग्रे। यह रंग संतुलित भावनाओं और स्थिरता का प्रतीक है। ग्रे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से भक्तों को स्थिरता, संतुलन और मानसिक शक्ति मिलती है।
भोग और पूजा सामग्री
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
पूजा स्थल को साफ करें और नए कपड़े पहनें।
पूजा के दौरान दीपक जलाएं और श्रृंगार सामग्री, माला, सिंदूर अर्पित करें।
मां कात्यायनी को मीठा पान, पांच तरह के मौसमी फल और साधारण मिठाई या शहद अर्पित करें। यह संतुलित ऊर्जा और सामंजस्य का प्रतीक है।
पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
हवन करें और मां से आशीर्वाद प्राप्त करें।
छठे दिन की पूजा से साहस, मानसिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह दिन विशेष रूप से युवाओं और विवाहित जीवन के इच्छुक लोगों के लिए फलदायी माना जाता है।