UPI vs Pix: भारत में digital payment का नाम आते ही सबसे पहले UPI याद आता है। आज हालत यह है कि गली के नुक्कड़ पर चाय बेचने वाला भी कह देता है – कॅश नहीं है तो, “QR स्कैन कर दो”। पहले जहाँ छुट्टे पैसे या नकद देना मजबूरी थी, अब वही दुकानदार मोबाइल आगे कर देता है। कह सकते हैं कि UPI ने पैसों के लेन-देन को बिल्कुल आसान बना दिया है।
वैसे ब्राज़ील में भी कुछ ऐसा ही हुआ। वहाँ कुछ साल पहले एक नया सिस्टम आया – Pix। नाम थोड़ा छोटा है, लेकिन काम बड़ा है। लॉन्च के कुछ ही समय बाद लोगों ने नकद की जगह इसी को अपनाना शुरू कर दिया। अब ज़ाहिर है सवाल यही बनता है – क्या Pix, ब्राज़ील के लिए वही है जो UPI भारत के लिए है?
भारत में UPI ने कैसे बदला खेल
2016 में नोटबंदी के बाद अचानक सबको महसूस हुआ कि डिजिटल पेमेंट ज़रूरी है। उस दौर में UPI का आगमन हुआ और देखते-देखते यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया।
बिना झंझट सीधे बैंक अकाउंट से पैसा भेजो
छुट्टी हो या आधी रात, पेमेंट तुरंत हो जाता है
Google Pay, PhonePe, Paytm जैसे ऐप्स ने इसे और आसान बना दिया
आज हालत ये है कि लाखों-करोड़ों ट्रांजैक्शन रोज़ इसी से होते हैं। छोटे व्यापारियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं।
ब्राज़ील की कहानी – Pix का तेज़ सफर
ब्राज़ील ने 2020 में Pix को लॉन्च किया। इसे सीधे वहाँ के सेंट्रल बैंक ने बनाया और कंट्रोल किया। इसकी खासियतें सुनकर आपको UPI की याद आ जाएगी:
24*७ * ३६५ यानि 24 घंटे, सातों दिन काम करता है
किसी भी बैंक ऐप से चल जाता है
और सबसे मज़ेदार बात – कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं
सिर्फ चार साल में ही करोड़ों लोग नकद छोड़कर Pix पर आ गए। वहाँ भी दुकानदार से लेकर आम लोग तक यही कहते हैं – “Pix कर दो।”
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UPI बनाम Pix – कहाँ है बड़ा फर्क?
देखा जाए तो दोनों का मकसद एक ही है – ऑनलाइन पेमेंट को या कहे पैसों के लें दें कोआसान बनाना। लेकिन फर्क भी साफ़ है।
UPI पर बिल पेमेंट, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, शॉपिंग – सबकुछ हो जाता है।
Pix अभी ज्यादातर पैसे ट्रांसफर करने तक सीमित है।
UPI कई प्राइवेट ऐप्स से चलता है, जबकि Pix सीधे बैंक ऐप्स से जुड़ा है।
यानी UPI फीचर-रिच है, और Pix बेहद सिंपल।
भारत Pix से क्या सीख सकता है?
भारत को Pix से कुछ सीखने लायक बातें ज़रूर हैं।
जितना आसान सिस्टम होगा, लोग उतनी जल्दी अपनाएँगे। Pix ने यही साबित किया।
Pix को कंट्रोल करता है ब्राज़ील का सेंट्रल बैंक, इससे पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों बनी रहती हैं।
और सबसे अहम, यह मॉडल इतना भरोसेमंद है कि कुछ ही साल में वहाँ के लोगों ने नकद से दूरी बना ली।
Conclusion
भारत का UPI और ब्राज़ील का Pix, दोनों ही अपने-अपने देशों की डिजिटल क्रांति के चेहरे बन चुके हैं। फर्क बस इतना है कि UPI फीचर्स में आगे है और Pix सादगी में। आने वाले वक्त में जब दुनिया कैशलेस पेमेंट्स की तरफ पूरी तरह जाएगी, तब ये दोनों मॉडल मिसाल बनेंगे।