कोल्ड्रिफ सिरप

कोल्ड्रिफ सिरप से 20 बच्चों की मौत: फार्मा कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन गिरफ्तार

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2025:
देश को हिला देने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में बड़ा एक्शन हुआ है। तमिलनाडु स्थित स्रेसन फार्मा (Sresan Pharma) के मालिक रंगनाथन गोविंदन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह वही कंपनी है जिसने वह दूषित कफ सिरप बनाया था, जिससे मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में बच्चों की जान चली गई।

मध्य प्रदेश पुलिस ने बीती रात चेन्नई में एक गुप्त ऑपरेशन चलाकर रंगनाथन को गिरफ्तार किया। सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के लिए पुलिस की विशेष टीम पिछले चार दिनों से चेन्नई में डेरा डाले हुए थी। जांच टीम ने उनके वाहनों और घर पर नजर रखी और आधी रात को 1:30 बजे उन्हें पकड़ लिया। पुलिस ने बाद में उन्हें उनके कांचीपुरम स्थित फैक्ट्री ले जाकर कई जरूरी दस्तावेज जब्त किए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अब उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर छिंदवाड़ा लाने की तैयारी कर रही है, जहाँ बच्चों की मौत के अधिकतर मामले दर्ज किए गए हैं।

घातक रासायनिक मिश्रण से बनी थी दवा

‘कोल्ड्रिफ’ एक सामान्य कफ सिरप है जो बच्चों के सर्दी, खांसी और गले के दर्द जैसी समस्याओं में दी जाती है। लेकिन जांच में यह सामने आया कि इस दवा में डायइथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला तत्व पाया गया। DEG वही रसायन है जो प्रिंटिंग इंक और गोंद जैसी औद्योगिक चीजों में इस्तेमाल होता है, और यह गुर्दे, लीवर और तंत्रिका तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी ने हाल ही में जांच में पाया कि कंपनी ने अनबिल्ड कंटेनरों में DEG रखा हुआ था और इसे 46-48% तक कफ सिरप में मिलाया गया था, जबकि मानक सीमा सिर्फ 0.1% है। इस खुलासे के बाद फैक्ट्री की लाइसेंस रद्द कर दी गई और उत्पादन तत्काल बंद करा दिया गया।

कई राज्यों में बैन और देशव्यापी जांच

मध्य प्रदेश में कम से कम 20 बच्चों की मौत के बाद नौ राज्यों ने इस सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है। केंद्रीय औषधि नियामक (Drug Controller General of India) ने भी दवा निर्माण प्रक्रियाओं में गंभीर खामियों को स्वीकार किया है। एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि देशभर में कई फैक्ट्रियों में कच्चे माल और सक्रिय तत्वों की बैच टेस्टिंग नहीं की जा रही थी, जिससे इस तरह की घटनाओं का खतरा बढ़ गया।

कंपनी पर पुराने रिकॉर्ड से उठे सवाल

जांच में यह भी सामने आया है कि स्रेसन फार्मा की शुरुआत वर्ष 1990 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में हुई थी, लेकिन बाद में इसे कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय के रजिस्टर से हटा दिया गया था। इसके बावजूद यह कंपनी व्यक्तिगत स्वामित्व के तौर पर काम करती रही — जिससे नियामक एजेंसियों की निगरानी पर सवाल खड़े हो गए हैं।

फिलहाल पुलिस और औषधि विभाग की टीमें पूरे नेटवर्क की जांच कर रही हैं — जिसमें रासायनिक आपूर्तिकर्ता, स्टॉकिस्ट और मेडिकल प्रतिनिधि शामिल हैं — ताकि उस घातक सप्लाई चेन का हर कड़ी तक पता लगाया जा सके जिसने निर्दोष बच्चों तक यह जहरीली दवा पहुँचाई।

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