नॉर्वे की मुक्केबाजी पर लंबे समय तक प्रतिबंध रहने के बावजूद, सेसिलिया ब्रैखस ने लगभग दो दशकों तक कठिन संघर्ष के बाद अपनी पहचान बनाई। 43 वर्षीय ब्रैखस अब रिंग से रिटायर होने जा रही हैं, लेकिन उनका नाम मुक्केबाजी के इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा।
ब्रैखस ने पेशेवर मुक्केबाजी में कदम रखने से पहले कई बाधाओं का सामना किया। नॉर्वे में पेशेवर मुक्केबाजी 1981 से अवैध थी और महिला खिलाड़ियों के लिए जिम तक में प्रवेश पर रोक थी। उन्होंने इसके बावजूद जर्मनी में प्रशिक्षण लिया और पेशेवर मुक्केबाजी में कदम रखा।
सितंबर 2014 में ब्रैखस ने क्रोएशिया की इवाना हबाजिन को हराकर WBA, WBC, WBO और IBF वेल्टरवेट टाइटल एक साथ जीतकर इतिहास रचा। इस जीत के साथ वह किसी भी महिला वेट क्लास में पहली अंडिस्प्यूटेड चैंपियन बनीं।
ब्रैखस ने नॉर्वे में मुक्केबाजी पर लगी पाबंदी हटाने के लिए भी सक्रिय प्रयास किए। उन्होंने डॉक्टरों, विशेषज्ञों और राजनेताओं से मिलकर खेल के लिए कानून में बदलाव लाने की कोशिश की। दिसंबर 2014 में नॉर्वे की संसद ने पेशेवर मुक्केबाजी पर लगी पाबंदी को हटा दिया।
ब्रैखस की कहानी केवल जीत की नहीं, बल्कि लिंग समानता, हिम्मत और लगातार प्रयास का प्रतीक भी है। उनके संघर्ष और सफलता ने दुनिया भर की महिला मुक्केबाजों को प्रेरित किया है।