रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोची में आयोजित 22वें वलदाई डिस्कशन क्लब में कहा कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की जिम्मेदारी मुख्यतः यूरोपीय देशों पर है। उन्होंने चेतावनी दी कि यूरोप के बढ़ते सैन्यीकरण का रूस “महत्वपूर्ण” जवाब देगा।
क्यों कहा पुतिन ने ऐसा?
पुतिन के अनुसार, युद्ध को रोकने में अब तक नाकामी की असली वजह यूरोप का लगातार टकराव बढ़ाना है। उन्होंने कहा—
“दुर्भाग्य से हम अब तक युद्ध को रोक नहीं पाए हैं। इसकी ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक देशों पर नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक, ख़ासतौर पर यूरोप पर है, जो संघर्ष को और बढ़ा रहा है।”
पृष्ठभूमि और संदर्भ
यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में नाटो (NATO) एयरस्पेस में कई घुसपैठ की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे तनाव और बढ़ा है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि “कीव, यूरोपीय संघ के सहयोग से, पूरे यूक्रेन को अपनी मूल स्थिति में वापस हासिल करने की स्थिति में है।”
विशेषज्ञों की राय
कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प का यह बयान अमेरिका को संघर्ष की जिम्मेदारी से बचाने की कोशिश जैसा है। वहीं, पुतिन का यूरोप पर जोर देना इस बात की तरफ़ इशारा करता है कि रूस सीधा टकराव अब वॉशिंगटन से नहीं बल्कि ब्रसेल्स (EU) से मान रहा है।
भविष्य की तस्वीर
पुतिन ने भले ही यह उम्मीद जताई कि “अच्छी नीयत आखिरकार जीतेगी”, लेकिन उनके शब्द यूरोप को साफ संदेश देते हैं कि अगर सैन्यीकरण तेज़ हुआ तो रूस भी जवाबी कदम उठाने के लिए तैयार है।
वलदाई मंच से आया पुतिन का यह बयान बताता है कि रूस-यूरोप रिश्तों में तनाव नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है। अब अगली चाल यूरोपीय देशों की होगी—क्या वे बातचीत की ओर झुकेंगे या टकराव और बढ़ेगा?