नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने कथित ‘गॉडमैन’ स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती को आगरा से गिरफ्तार कर लिया है। 62 वर्षीय आरोपी पर 17 महिला छात्राओं का यौन शोषण करने और एक बड़े आर्थिक घोटाले को अंजाम देने के गंभीर आरोप हैं। वह कई हफ्तों से फरार था और आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
छात्रों को कैसे फँसाता था?
जांच में सामने आया है कि चैतन्यनंद ने दिल्ली के एक प्रबंधन संस्थान का अध्यक्ष रहते हुए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की छात्राओं को निशाना बनाया।
वह सबसे पहले उनका मोबाइल फोन और शैक्षणिक सर्टिफिकेट जब्त कर लेता था।
छात्रों को कहा जाता था कि फोन जमा करने से वे पढ़ाई पर ध्यान दे पाएंगे।
लेकिन असल मकसद था डर पैदा करना, ताकि कोई शिकायत न कर सके।
एक पीड़िता की दोस्त ने बताया – “हर छात्रा का करियर उसी के पास बंधा था। यही वजह थी कि कोई खुलकर सामने नहीं आ पाई।”
अदालत ने क्या कहा?
शुक्रवार को दिल्ली की अदालत ने चैतन्यनंद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
जज हर्दीप कौर ने कहा कि मामले की पूरी धोखाधड़ी की चेन को सामने लाने और सबूत जुटाने के लिए आरोपी की पुलिस कस्टडी बेहद ज़रूरी है।
ट्रस्ट और फंड में गड़बड़ी
अदालती दस्तावेज़ बताते हैं कि आरोपी ने एक फर्जी ट्रस्ट बनाकर लाखों-करोड़ों रुपये के फंड और संपत्ति को हड़पने की कोशिश की।
इसमें श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च और श्रींगेरी स्थित एक धार्मिक संस्था की संपत्तियाँ भी शामिल थीं।
यह केस क्यों अहम है?
यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ लोग धर्म और शिक्षा की आड़ में मासूमों का शोषण करते हैं।
पीड़ितों का कहना है कि आरोपी ने विश्वास, करियर और धार्मिक आस्था — तीनों का इस्तेमाल छात्रों को चुप कराने में किया।
इससे सवाल उठता है कि ऐसे संस्थानों में निगरानी और जवाबदेही कितनी कमजोर है।
आगे क्या हो सकता है?
पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर उसके नेटवर्क और सहयोगियों का पता लगाने की कोशिश करेगी।
फर्जी ट्रस्ट और फंड की गड़बड़ी से जुड़े बैंकिंग और प्रॉपर्टी लेन-देन की जांच होगी।
अगर दोष साबित होते हैं तो आरोपी को लंबी जेल की सज़ा हो सकती है।
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